Saturday 22 October 2016

Sanskrit quotation - pt durgeshacharya ji maharaj




केयुराः न विचूषयन्ति पुरुषं, हाराः न चंद्रोज्ज्वलाः
न स्नानं, न विलेपनं, न कुसुमं, न अलंकृता मूर्धजाः ।
वाणी एका समलंकरोति पुरुषं, या संस्कृता धार्यते
क्षीयंते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम् ॥  ॥


Peacock feathers are not the true adornment of man,
not glistening-as-the-moon necklaces either,
neither are bathing and decorating and flowers ,
noble speech is the only true adornment,
it is the basis of culture
Most Indian languages, in greater or lesser degree, trace their roots in Sanskrit. In that sense, more than a mother tongue, Sanskrit is a grandmother tongue.
The Censuses do not indicate how many people in India actually speak Sanskrit.
It is clear that Sanskrit was not restricted to kshatriyas and brahmanas.
If we do not learn Sanskrit, a vast and profound body of knowledge will be lost to us forever
Most Indian languages, in greater or lesser degree, trace their roots in Sanskrit. In that sense, more than a mother tongue, Sanskrit is a grandmother tongue.Most Indian languages, in greater or lesser degree, trace their roots in Sanskrit. In that sense, more than a mother tongue, Sanskrit is a grandmother tongue.
The Censuses do not indicate how many people in India actually speak Sanskrit.
It is clear that Sanskrit was not restricted to kshatriyas and brahmanas.
If we do not learn Sanskrit, a vast and profound body of knowledge will be lost to us forever
The Censuses do not indicate how many people in India actually speak Sanskrit.
It is clear that Sanskrit was not restricted to kshatriyas and brahmanas.
If we do not learn Sanskrit, a vast and profound body of knowledge will be lost to us forever

Tuesday 21 June 2016

yoga in sanskrit

+pt. durgesharya ji maharaj
योग दिवस की हार्दिक बधाई।
सभी विश्वबन्धुओँ को सनातन वैदिक धर्म की तरफ से योग की भेंट। परन्तु अभी तो यह शुरुआत है विश्व को अभी बहुत कुछ मिलना बाकी है. सनातन वैदिक धर्म संपूर्ण विश्व का सबसे पुराना धर्म है और संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा। 
आइये अब योग के बाद संस्कृत भाषा को पुनः विश्व में वही स्थान दिलाएं जो प्राचीन समय में था. https://www.facebook.com/durgeshacharyaji
कुछ अज्ञानियों को योग करते समय श्लोक में भी परेशानी है अब उनको कैसे बताएं की संस्कृत के बिना योग अधूरा है.
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ
+radhe raah de charitable foundation 
#radheraahde


Sunday 8 May 2016

जननि जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि janani- माता happy mother's day

यया महिलया शिशु जन्यते, पालनं लालनम् क्रीयते, तां महिलां माता इति मन्यते | माता सदृश: पुल्लिङ्ग प्रतिवस्तु पिता | संस्कृतभाषायां जननि, जन्यत्रि, अम्बा, सवित्री, अम्बिका, प्रसू, जनी, अल्ला, अक्का, अत्ता इत्यादिनि अनेकानि पदानि मातृ सब्दस्य कृते पर्यायशब्दरूपेण उपयुज्यते |
शिशो: पालन विषये पित्रे तथा इतर बन्दुजनेभ्य: अपि दायित्वं अस्ति एव परन्तु अम्बायै ज्येष्ठांशम् विद्यते | माता इति पदम् स्पष्टीकर्तुं सुलभकार्यं नास्ति | न केवलं मानवा: इतरेषु पशुषु अपि मातृत्वं सुस्पष्टं विद्यते | यथा शिशो: जीवनं अम्बया विना कटिनम् भवति तथा एव मृगाणां पक्षिणां अपि अम्बया विना जीवनं बहु कष्टं भवति |
भारत देशे स्वमातरं अपेक्षया तरव:, नद्य:, जन्मभूमि:, भाषा: इत्यादय: अपि मातृवत् पूजनीया: इति मन्यते | प्रथमतया श्रीमद्रामायण महाकाव्ये "जननि जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि" इति श्लोक: वर्तते | तादृशा: श्लोका: विविधेषु प्राचीनेषु ग्रन्थेषु अपि वर्तन्ते |

‪#‎happymothersday‬
चोला ‪#‎cholaperiod‬ राज्य १२ वी सदी..... कृष्णा ‪#‎krishna‬ और माता यशोदा‪#‎yashoda‬ की प्रतिमा
हमारी सनातन हिन्दू संस्कृति ‪#‎vedictradition‬ में हमेशा से माँ को एक विशेष दर्जा प्राप्त है. हमारे यहाँ पुरुष प्रधान समाज होते हुए भी सभी शक्तियां प्रमुख्तर स्त्री के पास है जैसे 
माँ सरस्वती - विद्या की देवी 
माँ दुर्गा - शक्ति की देवी
माँ लक्ष्मी - धन की देवी
और हमारे यहाँ प्रमुखता से प्रकृति को भी माँ का दर्ज़ा प्राप्त है , इसी तरह पृथ्वी और धरती को भी माँ का दर्ज़ा प्राप्त है
इसी लिए हम अपने भारत ‪#‎bharat‬ देश को स्त्री सूचक संज्ञा देते हुए ""भारत माता की जय"" कहते है.
मेरे देश की व पुरे विश्व की माताओं को उनके चरणों में प्रणाम, आशा है वो अपनी कोख से वीर, संस्कार ‪#‎sanskar‬ युक्त लव, कुश, ध्रुव , प्रह्लाद जैसी संतानो को जन्म देंगी।‪#‎radheraahde‬
""""""भारत माता की जय"""""""
राधे राह दे

Monday 4 April 2016

sanskrit thriving in british schools #savesanskritsavesanskriti

‪#‎savesanskritsavesanskriti‬
sanskrit thriving in british schools
लंदन के स्कूल में संस्कृत-
सिर्फ हमारे देश ‪#‎india‬ को छोड़के दुनिया के सारे देश संस्कृत ‪#‎sanskritlanguage‬भाषा पर शोध किये जा रहे है. और स्वयं हम जो की इस प्राचीन ‪#‎vediclanguage‬ भाषा के साक्षी है मूड बने हुए बैठे है.
लंदन के स्कूलों में संस्कृत भाषा पढ़ाई जाती है और हमारे यहाँ अंग्रेजी को प्राथमिकता दी जाती है और संस्कृत को तो कोई देखना तक नहीं चाहता है.‪#‎london‬
परन्तु अगर देखा जाये तो कोई नया अविष्कार करने की जरुरत नहीं है सिर्फ हमारे वेदों‪#‎vedas‬ और उपनिषदों ‪#‎upanishads‬ में जो लिखा हुआ है उसी को आप बहार निकल लें तो दुनिया बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
अभी तक जो खोजें हुयी है, जितने भी अविष्कार हुए है सभी हमारे प्राचीन समय की देन है.
इस धरोहर को पहचानो और अपने देश में संस्कृत को गौरव दिलाओ।
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ
राधे राह दे
#radheraahdecharitablefoundation

Sunday 3 April 2016

Sanskrit benefits

‪#‎savesanskritsavesanskriti‬
॥ श्रीराधास्तोत्रं श्रीकृष्णकृतम् ॥
श्रीकृष्ण उवाच ।
एवमेव प्रियोऽहं ते प्रमोदश्चैव ते मयि ।
सुव्यक्तमद्य कापट्यवचनं ते वरानने ॥ १॥

हे कृष्ण त्वं मम प्राणा जीवात्मेति च सन्ततम् ।
ब्रूषे नित्यं तु यत् प्रेम्णा साम्प्रतं तद् गतं द्रुतम् ॥ २॥
अस्माकं वचनं सत्यं यद् व्रवीमिती तद् ध्रुवम् ।
पञ्चप्राणाधिदेवी त्वं राधा प्राणधिकेति मे ॥ ३॥
शक्तो न रक्षितुं त्वां च यान्ति प्राणस्त्वया विना ।
विनाधिष्ठातृदेवीं च को वा कुत्र च जीवति ॥ ४॥
महाविष्णोश्च माता त्वं मूलप्रकृतिरीश्वरी ।
सगुणा त्वं च कलया निर्गुणा स्वयमेव तु ॥ ५॥
ज्योतीरूपा निराकारा भक्तानुग्रहविग्रहा ।
भक्तानां रुचिवैचित्र्यन्नानामूर्तीश्च बिभ्रमती ॥ ६॥
महालक्ष्मिश्च वैकुण्ठे भारती च सतां प्रसूः ।
पुण्यक्षेत्रे भारते च सती त्वं पार्वती तथा ॥ ७॥
तुलसी पुण्यरूपा च गङ्गा भुवनपावनी ।
ब्रह्मलोके च सावित्री कलया त्वं वसुन्धरा ॥ ८॥
गोलोके राधिका त्वं च सर्वगोपालकेश्वरी ।
त्वया विनाहं निर्जीवो ह्यशक्तः सर्वकर्मसु ॥ ९॥
शिवः शक्तस्त्वया शक्त्या शवाकारस्त्वया विना ।
वेदकर्ता स्वयं ब्रह्मा वेदमात्रा त्वया सह ॥ १०॥
नारायणस्त्वया लक्ष्म्या जगत्पाता जगत्पतिः ।
फलं ददाति यज्ञश्च त्वया दक्षिणया सह ॥ ११॥
बिभर्ति सृष्टिं शेषश्च त्वां कृत्वा मस्तके भुवम् ।
बिभर्ति गङ्गारूपां त्वां मूर्घ्नि गङ्गाधरः शिवः ॥ १२॥
शक्तिमच्च जगत् सर्वं शवरूपं त्वया विना ।
वक्ता सर्वस्त्वया वाण्या सूतो मूकस्त्वया विना ॥ १३॥
यथा मृदा घटं कर्तुं कुलालः शक्तिमान् सदा ।
सृष्टिं स्रष्टुं तथाहं च प्रकृत्या च त्वया सह ॥ १४॥
त्वया विना जडश्चाहं सर्वत्र च न शक्तिमान् ।
सर्वशक्तिखरूपा त्वं समागच्छ ममान्तिकम् ॥ १५॥
वह्नौ त्वं दाहिका शक्तिर्नाग्निः शक्तस्त्वया विना ।
शोभास्वरूपा चन्द्रे त्वं त्वां विना न स सुन्दरः ॥ १६॥
प्रभारूपा हि सूर्ये त्वं विना न स भानुमान् ।
न कामः कामिनीबन्घुस्त्वया रत्या विना प्रिये ॥ १७॥
इत्येवं स्तवनं कृत्वा तां सम्प्राष जगत्प्रभुः ।
देवा बभूवुः सथीकाः सभार्याः शक्तिसंयुताः ॥ १८॥
सस्त्रीकं च जगत् सर्वं बभूव् शैलकन्यके ।
गोपीपूर्णश्च गोलोको बभूव तत्प्रसादतः ॥ १९॥
राजा च जगाम् गोलोकमिति स्तुत्वा हरिप्रियाम् ।
श्रीकृष्णेन कृतं स्तोत्रं राधाया यः पठेन्नरः ॥ २०॥
कृष्णभक्तिं च तद्दास्यं स प्राप्नोति न संसयः ।
स्त्रीविच्छेदेयः शृणोति मासमेकमिदं शुचिः ॥ २१॥
अचिराल्लभते भार्यां सुशीलां सुन्दरीं सतीं ।
भार्याहीनो भाग्यहीनो वर्षमेकं शृणोति यः ॥ २२॥
अचिराल्लभते भार्यां सुशीलां सुन्दरीं सतीं ।
पुर मया च त्वं प्राप्ता स्तोत्रेणानेन पार्वति ॥ २३॥
मृतायां दक्षकन्यायामाज्ञया परमात्मनः ।
स्तोत्रेणानेन सम्प्राप्ता सावित्री ब्रह्मणा पुरा ॥ २४॥
पुरा दुर्वाससः शापान्निःश्रीके देवतागणे ।
स्तोत्रेणानेन देवैस्तैः सम्प्राप्ता श्रीः सुदुर्लभा ॥ २५॥
शृणोति वर्षमेकं च पुत्रार्थि लभते सुतम् ।
महाव्याधी रोगमुक्तो भवेत् स्तोत्रप्रसादतः ॥ २६॥
कार्तिकीपूर्णमायां तु तां सम्पूज्य पठेत्तु यः ।
अचलां श्रियमाप्नोति राजसूयफलं लभेत् ॥ २७॥
नारी शृणोति चेत् स्तोत्रं स्वामिसौभाग्यसंयुता ।
भक्त्या शृणोति यः स्तोत्रं बन्धनान्मुच्यते ध्रुवम् ॥ २८॥
नित्यं पठति यो भक्त्या राधां सम्पूज्य भक्तितः ।
स प्रयाति च गोलोकं निर्मुक्तो भवबनात् ॥ २९॥
इति श्रीब्रह्मवैवर्ते श्रिकृष्णकृष्णकृतं
श्रीराधास्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj
‪#‎radheraahde‬

Friday 25 March 2016

sanskrit in GERMANY

#SAVESANSKRITSAVESANSKRITI
now look at germany, germany is fascinating about our vedic language.
@http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-3038926/Sanskrit-fever-grips-Germany-14-universities-teaching-India-s-ancient-language-struggle-meet-demand-students-clamour-courses.html

http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-3038926/Sanskrit-fever-grips-Germany-14-universities-teaching-India-s-ancient-language-struggle-meet-demand-students-c
lamour-courses.html

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+pt. durgesharya ji maharaj
radhe raah de

Saturday 19 March 2016

संस्कृत फिल्म sanskrit animation movie

https://www.facebook.com/radheraahdefoundation/?fref=ts
संस्कृत भाषा में बनने वाली पहली फिल्म "पुण्यकोटि".
आईये सब मिलकर संस्कृत भाषा को पुनः विश्व की भाषा बनाएं।
आप अपने बच्चों को चाहे कितनी भी शिक्षा दिलादो परन्तु अगर उसमें अपनी संस्कृति के बीज नहीं बोये तो पता नहीं कल को वो संस्कार हीन बालक आपका सर शर्म से न नीचा कर दे.
जय हिन्द जय भारत
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ
राधे राह दे
 
@pt.

Monday 14 March 2016

श्री वृन्दावन धाम shridham vrindavan

#savesanskritsavesanskriti
वृन्दावन धाम कौ वास भलौ, जहाँ पास बहै यमुना पटरानी।
जो जन न्हाय के ध्यान करै, बैकुण्ठ मिले तिनको रजधानी॥
+radhe raah de charitable foundation
ब्रज का हृदय श्रीवृन्दावन धाम श्री प्रिया-प्रियतम की नित्य नवरस केलि से आच्छादित है। यहाँ की पावन भूमि नित्य नव कुँज, पुष्प, लताओं से घिरी रहती है। यमुना जी के पावन किनारों पर कदम्ब, तमाल आदि के वृक्ष बल्लरियाँ श्री युगल सरकार की नित्य लीलाओं को प्रकट कराने के लिये आतुर रहते हैं और यही विचार करते रहते हैं कि कब प्यारे श्याम सुन्दर आयें और हमें भी अपनी लीलाओं का प्रतिभागी बनायें। यहाँ के वन-उपवन, कुँज-निकुँज, कुण्ड-सरोवर, यमुना के पावन तट आदि श्याम सुन्दर की लीलाओं के प्रत्यक्ष साक्षी हैं। श्रीवृन्दावन प्रभु के गोलोक धाम का ही प्रतिबिम्ब है। यह नित्य निरंतर शास्वत है। इस नित्य लीला धाम के प्रकट होने पर श्री प्रिया-प्रियतम आ वि

राजते हैं-अपने दिव्य रस से अभिसिंचित परिवेष में अपनी रासेश्वरी प्रियाजू एवं प्रिय सखियों सहित अपनी विभिन्न लीलायें सम्पन्न करते हैं। इन लीलाओं का परिपूर्ण वर्णन शब्दों में व्यक्त करना बहुत कठिन हैं, क्योंकि इन्हें तो अपने मन को एकाग्र कर प्रभु की इन चिन्मय लीलाओं में खोकर इस रस को नेत्रों से पान किया जाता है और कानों से सुना जाता है।
+pt. durgesharya ji maharaj
सभी गोकुलवासी कंस के आतंक से भयभीत थे। तब गोप उपनन्द जी ने सुझाव दिया कि यमुना के पार एक सुन्दर वृन्दावन है जहाँ अनेक वृक्ष, वन, पावन यमुना, गोवर्धन पर्वत आदि हैं। यह स्थान हमारे लिये तो सुरक्षित है ही, हमारी गायों के लिये भी विचरण करने हेतु यहाँ अनेक वन हैं। सभी गोकुलवासी इस पर सहमत हो गये और उन्होंने वृन्दावन को अपना निवास स्थल बनाया। गोवर्धन, बरसाना, नन्दगाँव आदि भी वृन्दावन की परिसीमा में आते थे।
धन वृन्दावन धाम है, धन वृन्दावन नाम। धन वृन्दावन रसिक जो सुमिरै स्यामा स्याम।
श्रीकृष्ण जी ने कहा है - वृन्दावन मेरा निज धाम है। इस वृन्दावन में जो समस्त पशु, पक्षी, मृग, कीट, मानव एवं देवता गण वास करते हैं वे मेरे ही अधिष्ठान में वास करते हैं और देहावसान के बाद सब मेरे धाम को प्राप्त होते हैं। वृन्दावन के वृक्ष साक्षात कल्पतरु हैं यहाँ की भूमि दर्पण के समान एवं मन्दिर, गौशाला स्थानों की भूमि तो चिन्तामणि स्वरूप, सर्व अभिलाषाओं की पूर्ति करने में समर्थ है।

वृन्दावन के वृक्ष को मरम न जाने कोय, यहाँ डाल डाल और पात पात श्री राधे राधे होय।

वृन्दावन की छवि प्रतिक्षण नवीन है। आज भी चारों ओर आराध्य की आराधना और इष्ट की उपासना के स्वर हर क्षण सुनाई देते हैं। कोई भी अनुभव कर सकता है कि वृन्दावन की सीमा में प्रवेश करते ही एक अदृश्य भाव, एक अदृश्य शक्ति हृदय स्थल के अन्दर प्रवेश करती है और वृन्दावन की परिधि छोड़ते ही यह दूर हो जाती है।
@radheraahde
अष्टछाप कवि सूरदास जी ने वृन्दावन रज की महिमा के वशीभूत होकर गाया है-

हम ना भई वृन्दावन रेणु,
तिन चरनन डोलत नंद नन्दन नित प्रति चरावत धेनु।
हम ते धन्य परम ये द्रुम वन बाल बच्छ अरु धेनु।
सूर सकल खेलत हँस बोलत संग मध्य पीवत धेनु॥

Wednesday 2 March 2016

shrimad bhagwat katha

ऋग्बेदो यजुर्वेद: सामवेदो अथर्वण:|
रक्षन्तु चतुर्वेदा यावत् चन्द्रदिवाकरौ
Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ अभियान के अंतर्गत 
राधे राह दे चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में अशोक पार्क, दिल्ली में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन होने जा रहा है. भक्तगण आमंत्रित है
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ के अभियान से जुड़ने के लिए संपर्क करें
join save sanskrit save sanskriti mission at our page
Radhe raah de charitable foundation
राधे राह दे


Monday 29 February 2016

SANSKRIT in NASA संस्कृत की लगती है क्लास वैज्ञानिकों के लिए नासा में

#‎savesanskritsavesanskriti‬
संस्कृत की लगती है क्लास वैज्ञानिकों के लिए नासा में Radhe raah de charitable foundation
NASA scientists hail Sanskrit as the only perfect language
Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj

Radhe raah de charitable foundation
india which is known for his ‪#‎vedic‬ tradition all over the world.... but is now struggling to save its so known devbhasha and loosing its culture to western tradition!!!! but still we have a village in india in which all villagers speaks in‪#‎sanskrit‬
i m not forcing u or telling u to learn sanskrit fully , i know itz a very tough language but you should know how to read a simple shloka, and encourage ur young minds to take it as our mother language. we want change in our education system. sanskrit should be there from starting till end.
Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj
do you want to let it extinct?
no na.... i know
encourage it, letz be a helping hand to save it. ‪#‎savesanskritsavesanskriti‬


Modern scientists hail the ancient language of the gods as the only
unambiguous natural language on the planet
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This interesting article refers to a NASA article on Sanskrit in AI
(Artificial Intelligence) Magazine 
in Spring of 1985 written by NASA researcher, Rick Briggs.

In ancient India the intention to discover truth was so consuming, that in
the process, they discovered perhaps the most perfect tool for fulfilling
such a search that the world has ever known -- the Sanskrit language.

radhe raah de

Saturday 27 February 2016

save sanskrit save sanskriti संस्कृत बोलने वाला गाँव

#savesanskritsavesanskriti
!!!---:संस्कृत बोलने वाला गाँव :---!!!
================================= 
भारत में केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत या जर्मन पढ़ाए जाने की बहस से कर्नाटक का मत्तूरु गाँव लगभग अछूता है ।
कर्नाटक की राजधानी बैंगलुरु से 300 किलोमीटर दूर स्थित मत्तूरु गाँव के इस बहस से दूर होने की वजह थोड़ी अलग है. यह एक ऐसा गाँव है जहाँ संस्कृत रोज़मर्रा की ज़बान है ।
इस गाँव में यह बदलाव 32 साल पहले स्वीकार की गई चुनौती के कारण आया. 1981-82 तक इस गाँव में राज्य की कन्नड़ भाषा ही बोली जाती थी ।
कई लोग तमिल भी बोलते थे, क्योंकि पड़ोसी तमिलनाडु राज्य से बहुत सारे मज़दूर क़रीब 100 साल पहले यहाँ काम के सिलसिले में आकर बस गए थे ।
मत्तुर गाँव, कर्नाटक
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इस गाँव के निवासी और स्थानीय शिमोगा कॉलेज में वाणिज्य विषय पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर एमबी श्रीनिधि ने बीबीसी हिन्दी को बताया, "दरअसल यह अपनी जड़ों की ओर लौटने जैसा एक आंदोलन था, जो संस्कृत-विरोधी आंदोलन के ख़िलाफ़ शुरू हुआ था. संस्कृत को ब्राह्मणों की भाषा कहकर आलोचना की जाती थी. इसे अचानक ही नीचे करके इसकी जगह कन्नड़ को दे दी गई । "
प्रोफ़ेसर श्रीनिधि कहते हैं, "इसके बाद पेजावर मठ के स्वामी ने इसे संस्कृत भाषी गाँव बनाने का आह्वान किया. हम सबने संस्कृत में बातचीत का निर्णय करके एक नकारात्मक प्रचार को सकारात्मक मोड़ दे दिया. मात्र 10 दिनों तक रोज़ दो घंटे के अभ्यास से पूरा गाँव संस्कृत में बातचीत करने लगा ।"
सभी समुदायों की भाषा
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तब से 3,500 जनसंख्या वाले इस गाँव के न केवल संकेथी ब्राह्मण ही नहीं बल्कि दूसरे समुदायों को लोग भी संस्कृत में बात करते हैं । इनमें सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित तबका भी शामिल है ।
संकेथी ब्राह्मण एक छोटा सा ब्राह्मण समुदाय है जो सदियों पहले दक्षिणी केरल से आकर यहाँ बस गया था ।
पूरे देश में क़रीब 35,000 संकेथी ब्राह्मण हैं और जो कन्नड़, तमिल, मलयालम और थोड़ी-मोड़ी तेलुगु से बनी संकेथी भाषा बोलते हैं. लेकिन इस भाषा की कोई अपनी लिपि नहीं है ।
त्रिभाषा सूत्र
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स्थानीय श्री शारदा विलास स्कूल के 400 में से 150 छात्र राज्य शिक्षा बोर्ड के निर्देशों के अनुरूप कक्षा छह से आठ तक पहली भाषा के रूप में संस्कृत पढ़ते हैं.
कर्नाटक के स्कूलों में त्रिभाषा सूत्र के तहत दूसरी भाषा अंग्रेज़ी और तीसरी भाषा कन्नड़ या तमिल या कोई अन्य क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई जाती है ।
स्कूल के संस्कृत अध्यापक अनंतकृष्णन सातवीं कक्षा के सबसे होनहार छात्र इमरान से संस्कृत में एक सवाल पूछते हैं, जिसका वो फ़ौरन जवाब देता है ।
संस्कृत का फ़ायदा
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इमरान कहते हैं, "इससे मुझे कन्नड़ को ज़्यादा बेहतर समझने में मदद मिली."
उत्तरी कर्नाटक के सिरसी ज़िले के रहने वाले अनंतकृष्णन कहते हैं, "इमरान की संस्कृत में रुचि देखने लायक है ।"
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली, 
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अनंतकृष्णन कहते हैं, "यहाँ के लोग अलग हैं. किंवदंती है कि यहाँ के लोगों ने विजयनगर के राजा से भूमि दान लेने से मना कर दिया था. क्या आपको पता है कि इस गाँव में कोई भूमि विवाद नहीं हुआ है ?"
संस्कृत के विद्वान अश्वतनारायण अवधानी कहते हैं, "संस्कृत ऐसी भाषा है जिससे आप पुरानी परंपराएँ और मान्यताएँ सीखते हैं. यह ह्रदय की भाषा है और यह कभी नहीं मर सकती ।"
संस्कृत भाषा ने इस गाँव के नौजवानों को इंजीनियरिंग या मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए गाँव से बाहर जाने से रोका नहीं है ।
संस्कृत सीखने का फ़ायदा
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क्या संस्कृत सीखने से दूसरी भाषाएँ, ख़ासकर कम्प्यूटर विज्ञान की भाषाओं को सीखने में कोई मदद मिलती है ?
बैंगलुरु की एक आईटी सॉल्यूशन कंपनी चलाने वाले शशांक कहते हैं, "अगर आप संस्कृत भाषा में गहरे उतर जाएं तो यह मदद करती है. मैंने थोड़ी वैदिक गणित सीखी है जिससे मुझे मदद मिली. दूसरे लोग कैलकुलेटर का प्रयोग करते हैं जबकि मुझे उसकी ज़रूरत नहीं पड़ती ।"
हालांकि वैदिक स्कूल से जुड़े हुए अरुणा अवधानी कहते हैं, "जीविका की चिंता की वज़ह से वेद पढ़ने में लोगों की रुचि कम हो गई है. स्थानीय स्कूल में बस कुछ दर्जन ही छात्र हैं ।"
मत्तूरु में संस्कृत का प्रभाव काफ़ी गहरा है. गाँव की गृहिणी लक्ष्मी केशव आमतौर पर तो संकेथी बोलती हैं, लेकिन अपने बेटे या परिवार के किसी और सदस्य से ग़ुस्सा होने पर संस्कृत बोलने लगती हैं ।
मज़दूरों के बच्चे
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मज़दूर के रूप में सुपारी साफ़ करने वाले संयत्र में काम करने वाली तमिल भाषी चित्रा के लिए भी स्थिति ज़्यादा अलग नहीं है. वो कहती हैं, "हम संस्कृत समझ लेते हैं. हालांकि हम में से कुछ इसे बोल नहीं पाते, लेकिन हमारे बच्चे बोल लेते हैं ।"
प्रोफ़ेसर श्रीनिधि कहते हैं, "यह विवाद फ़जूल है. जिस तरह यूरोप की भाषाएँ यूरोप में बोली जाती हैं उसी तरह हमें संस्कृत बोलने की ज़रूरत है. संस्कृत सीखने का ख़ास फ़ायदा यह है कि इससे न केवल आपको भारतीय भाषाओं को बल्कि जर्मन और फ़्रेंच जैसी भाषाओं को भी सीखने में मदद मिलती है ।
@pt.shridurgeshacharyaji mahara

Monday 22 February 2016

devbhasha sanskrit नैव क्लिष्टा न च कठिना

Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj
Radhe raah de charitable foundation
राधे राह दे
राधे राह दे चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में प्रथम बार गाजियाबाद में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है. सभी श्रद्धालुजन आमंत्रित हैं.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें 
"पं श्री दुर्गेशाचार्य जी महाराज" अथवा
"राधे राह दे चैरिटेबल फाउंडेशन" के फेसबुक पेज पर
cont:- 09329876583 ,08979127978

सुरससुबोधा विश्वमनोज्ञा
ललिता हृद्या रमणीया ।
अमृतवाणी संस्कृतभाषा
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥प॥

कविकोकिल-वाल्मीकि-विरचिता
रामायण-रमणीयकथा ।
अतीवसरला मधुरमञ्जुला
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥१॥

व्यासविरचिता गणेशलिखिता
महाभारते पुण्यकथा ।
कौरव-पाण्डव-सञ्गर-मथिता
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥२॥

कुरुक्षेत्र-समराञ्गण-गीता
विश्ववन्दिता भगवद्गीता ।
अमृतमधुरा कर्मदीपिका
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥३॥

कविकुलगुरु-नव-रसोन्मेषजा
ऋतु-रघु-कुमार-कविता ।
विक्रम-शाकुन्तल-मालविका
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥४॥

Tuesday 16 February 2016

radhe raah de charitable foundation

@ptshridurgeshacharyajimaharaj
radhe raah de charitable foundation is a charitable trust working under pt shri durgeshacharya ji maharaj (vyakaran acharya) and many sankrit scholars. this foundation mainly works for spreading awareness about spirituality, hinduism and sanatan dharm. pt shri durgeshacharya ji maharaj is also a keen orator of shrimad bhagwat katha.
radhe raah de charitable foundation is now starting #RADHE RAAH DE ACHARYAKULAM
sanskrit gurukul, for those who are weaker in economic section gurukul will offer free of cost living and studying.
but for this we need support of each and every sanatan dharmi. we alone can not able to do such work. we can only do it with your precious support not only by donation but we need your moral support too. now a days SANSKRIT is loosing itz heritage. we have to save it to save our culture and our religion. radhe raah de
[please contact on our facebook page --pt shri durgeshacharya ji maharaj and can call on
09329876583, 08979127978
add- atalla chungi, gali no. 1, vrindavan (mathura) up