Friday 25 March 2016

sanskrit in GERMANY

#SAVESANSKRITSAVESANSKRITI
now look at germany, germany is fascinating about our vedic language.
@http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-3038926/Sanskrit-fever-grips-Germany-14-universities-teaching-India-s-ancient-language-struggle-meet-demand-students-clamour-courses.html

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lamour-courses.html

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+pt. durgesharya ji maharaj
radhe raah de

Saturday 19 March 2016

संस्कृत फिल्म sanskrit animation movie

https://www.facebook.com/radheraahdefoundation/?fref=ts
संस्कृत भाषा में बनने वाली पहली फिल्म "पुण्यकोटि".
आईये सब मिलकर संस्कृत भाषा को पुनः विश्व की भाषा बनाएं।
आप अपने बच्चों को चाहे कितनी भी शिक्षा दिलादो परन्तु अगर उसमें अपनी संस्कृति के बीज नहीं बोये तो पता नहीं कल को वो संस्कार हीन बालक आपका सर शर्म से न नीचा कर दे.
जय हिन्द जय भारत
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ
राधे राह दे
 
@pt.

Monday 14 March 2016

श्री वृन्दावन धाम shridham vrindavan

#savesanskritsavesanskriti
वृन्दावन धाम कौ वास भलौ, जहाँ पास बहै यमुना पटरानी।
जो जन न्हाय के ध्यान करै, बैकुण्ठ मिले तिनको रजधानी॥
+radhe raah de charitable foundation
ब्रज का हृदय श्रीवृन्दावन धाम श्री प्रिया-प्रियतम की नित्य नवरस केलि से आच्छादित है। यहाँ की पावन भूमि नित्य नव कुँज, पुष्प, लताओं से घिरी रहती है। यमुना जी के पावन किनारों पर कदम्ब, तमाल आदि के वृक्ष बल्लरियाँ श्री युगल सरकार की नित्य लीलाओं को प्रकट कराने के लिये आतुर रहते हैं और यही विचार करते रहते हैं कि कब प्यारे श्याम सुन्दर आयें और हमें भी अपनी लीलाओं का प्रतिभागी बनायें। यहाँ के वन-उपवन, कुँज-निकुँज, कुण्ड-सरोवर, यमुना के पावन तट आदि श्याम सुन्दर की लीलाओं के प्रत्यक्ष साक्षी हैं। श्रीवृन्दावन प्रभु के गोलोक धाम का ही प्रतिबिम्ब है। यह नित्य निरंतर शास्वत है। इस नित्य लीला धाम के प्रकट होने पर श्री प्रिया-प्रियतम आ वि

राजते हैं-अपने दिव्य रस से अभिसिंचित परिवेष में अपनी रासेश्वरी प्रियाजू एवं प्रिय सखियों सहित अपनी विभिन्न लीलायें सम्पन्न करते हैं। इन लीलाओं का परिपूर्ण वर्णन शब्दों में व्यक्त करना बहुत कठिन हैं, क्योंकि इन्हें तो अपने मन को एकाग्र कर प्रभु की इन चिन्मय लीलाओं में खोकर इस रस को नेत्रों से पान किया जाता है और कानों से सुना जाता है।
+pt. durgesharya ji maharaj
सभी गोकुलवासी कंस के आतंक से भयभीत थे। तब गोप उपनन्द जी ने सुझाव दिया कि यमुना के पार एक सुन्दर वृन्दावन है जहाँ अनेक वृक्ष, वन, पावन यमुना, गोवर्धन पर्वत आदि हैं। यह स्थान हमारे लिये तो सुरक्षित है ही, हमारी गायों के लिये भी विचरण करने हेतु यहाँ अनेक वन हैं। सभी गोकुलवासी इस पर सहमत हो गये और उन्होंने वृन्दावन को अपना निवास स्थल बनाया। गोवर्धन, बरसाना, नन्दगाँव आदि भी वृन्दावन की परिसीमा में आते थे।
धन वृन्दावन धाम है, धन वृन्दावन नाम। धन वृन्दावन रसिक जो सुमिरै स्यामा स्याम।
श्रीकृष्ण जी ने कहा है - वृन्दावन मेरा निज धाम है। इस वृन्दावन में जो समस्त पशु, पक्षी, मृग, कीट, मानव एवं देवता गण वास करते हैं वे मेरे ही अधिष्ठान में वास करते हैं और देहावसान के बाद सब मेरे धाम को प्राप्त होते हैं। वृन्दावन के वृक्ष साक्षात कल्पतरु हैं यहाँ की भूमि दर्पण के समान एवं मन्दिर, गौशाला स्थानों की भूमि तो चिन्तामणि स्वरूप, सर्व अभिलाषाओं की पूर्ति करने में समर्थ है।

वृन्दावन के वृक्ष को मरम न जाने कोय, यहाँ डाल डाल और पात पात श्री राधे राधे होय।

वृन्दावन की छवि प्रतिक्षण नवीन है। आज भी चारों ओर आराध्य की आराधना और इष्ट की उपासना के स्वर हर क्षण सुनाई देते हैं। कोई भी अनुभव कर सकता है कि वृन्दावन की सीमा में प्रवेश करते ही एक अदृश्य भाव, एक अदृश्य शक्ति हृदय स्थल के अन्दर प्रवेश करती है और वृन्दावन की परिधि छोड़ते ही यह दूर हो जाती है।
@radheraahde
अष्टछाप कवि सूरदास जी ने वृन्दावन रज की महिमा के वशीभूत होकर गाया है-

हम ना भई वृन्दावन रेणु,
तिन चरनन डोलत नंद नन्दन नित प्रति चरावत धेनु।
हम ते धन्य परम ये द्रुम वन बाल बच्छ अरु धेनु।
सूर सकल खेलत हँस बोलत संग मध्य पीवत धेनु॥

Wednesday 2 March 2016

shrimad bhagwat katha

ऋग्बेदो यजुर्वेद: सामवेदो अथर्वण:|
रक्षन्तु चतुर्वेदा यावत् चन्द्रदिवाकरौ
Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ अभियान के अंतर्गत 
राधे राह दे चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में अशोक पार्क, दिल्ली में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन होने जा रहा है. भक्तगण आमंत्रित है
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ के अभियान से जुड़ने के लिए संपर्क करें
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Radhe raah de charitable foundation
राधे राह दे