Monday 29 February 2016

SANSKRIT in NASA संस्कृत की लगती है क्लास वैज्ञानिकों के लिए नासा में

#‎savesanskritsavesanskriti‬
संस्कृत की लगती है क्लास वैज्ञानिकों के लिए नासा में Radhe raah de charitable foundation
NASA scientists hail Sanskrit as the only perfect language
Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj

Radhe raah de charitable foundation
india which is known for his ‪#‎vedic‬ tradition all over the world.... but is now struggling to save its so known devbhasha and loosing its culture to western tradition!!!! but still we have a village in india in which all villagers speaks in‪#‎sanskrit‬
i m not forcing u or telling u to learn sanskrit fully , i know itz a very tough language but you should know how to read a simple shloka, and encourage ur young minds to take it as our mother language. we want change in our education system. sanskrit should be there from starting till end.
Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj
do you want to let it extinct?
no na.... i know
encourage it, letz be a helping hand to save it. ‪#‎savesanskritsavesanskriti‬


Modern scientists hail the ancient language of the gods as the only
unambiguous natural language on the planet
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This interesting article refers to a NASA article on Sanskrit in AI
(Artificial Intelligence) Magazine 
in Spring of 1985 written by NASA researcher, Rick Briggs.

In ancient India the intention to discover truth was so consuming, that in
the process, they discovered perhaps the most perfect tool for fulfilling
such a search that the world has ever known -- the Sanskrit language.

radhe raah de

Saturday 27 February 2016

save sanskrit save sanskriti संस्कृत बोलने वाला गाँव

#savesanskritsavesanskriti
!!!---:संस्कृत बोलने वाला गाँव :---!!!
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भारत में केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत या जर्मन पढ़ाए जाने की बहस से कर्नाटक का मत्तूरु गाँव लगभग अछूता है ।
कर्नाटक की राजधानी बैंगलुरु से 300 किलोमीटर दूर स्थित मत्तूरु गाँव के इस बहस से दूर होने की वजह थोड़ी अलग है. यह एक ऐसा गाँव है जहाँ संस्कृत रोज़मर्रा की ज़बान है ।
इस गाँव में यह बदलाव 32 साल पहले स्वीकार की गई चुनौती के कारण आया. 1981-82 तक इस गाँव में राज्य की कन्नड़ भाषा ही बोली जाती थी ।
कई लोग तमिल भी बोलते थे, क्योंकि पड़ोसी तमिलनाडु राज्य से बहुत सारे मज़दूर क़रीब 100 साल पहले यहाँ काम के सिलसिले में आकर बस गए थे ।
मत्तुर गाँव, कर्नाटक
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इस गाँव के निवासी और स्थानीय शिमोगा कॉलेज में वाणिज्य विषय पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर एमबी श्रीनिधि ने बीबीसी हिन्दी को बताया, "दरअसल यह अपनी जड़ों की ओर लौटने जैसा एक आंदोलन था, जो संस्कृत-विरोधी आंदोलन के ख़िलाफ़ शुरू हुआ था. संस्कृत को ब्राह्मणों की भाषा कहकर आलोचना की जाती थी. इसे अचानक ही नीचे करके इसकी जगह कन्नड़ को दे दी गई । "
प्रोफ़ेसर श्रीनिधि कहते हैं, "इसके बाद पेजावर मठ के स्वामी ने इसे संस्कृत भाषी गाँव बनाने का आह्वान किया. हम सबने संस्कृत में बातचीत का निर्णय करके एक नकारात्मक प्रचार को सकारात्मक मोड़ दे दिया. मात्र 10 दिनों तक रोज़ दो घंटे के अभ्यास से पूरा गाँव संस्कृत में बातचीत करने लगा ।"
सभी समुदायों की भाषा
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तब से 3,500 जनसंख्या वाले इस गाँव के न केवल संकेथी ब्राह्मण ही नहीं बल्कि दूसरे समुदायों को लोग भी संस्कृत में बात करते हैं । इनमें सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित तबका भी शामिल है ।
संकेथी ब्राह्मण एक छोटा सा ब्राह्मण समुदाय है जो सदियों पहले दक्षिणी केरल से आकर यहाँ बस गया था ।
पूरे देश में क़रीब 35,000 संकेथी ब्राह्मण हैं और जो कन्नड़, तमिल, मलयालम और थोड़ी-मोड़ी तेलुगु से बनी संकेथी भाषा बोलते हैं. लेकिन इस भाषा की कोई अपनी लिपि नहीं है ।
त्रिभाषा सूत्र
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स्थानीय श्री शारदा विलास स्कूल के 400 में से 150 छात्र राज्य शिक्षा बोर्ड के निर्देशों के अनुरूप कक्षा छह से आठ तक पहली भाषा के रूप में संस्कृत पढ़ते हैं.
कर्नाटक के स्कूलों में त्रिभाषा सूत्र के तहत दूसरी भाषा अंग्रेज़ी और तीसरी भाषा कन्नड़ या तमिल या कोई अन्य क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई जाती है ।
स्कूल के संस्कृत अध्यापक अनंतकृष्णन सातवीं कक्षा के सबसे होनहार छात्र इमरान से संस्कृत में एक सवाल पूछते हैं, जिसका वो फ़ौरन जवाब देता है ।
संस्कृत का फ़ायदा
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इमरान कहते हैं, "इससे मुझे कन्नड़ को ज़्यादा बेहतर समझने में मदद मिली."
उत्तरी कर्नाटक के सिरसी ज़िले के रहने वाले अनंतकृष्णन कहते हैं, "इमरान की संस्कृत में रुचि देखने लायक है ।"
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली, 
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अनंतकृष्णन कहते हैं, "यहाँ के लोग अलग हैं. किंवदंती है कि यहाँ के लोगों ने विजयनगर के राजा से भूमि दान लेने से मना कर दिया था. क्या आपको पता है कि इस गाँव में कोई भूमि विवाद नहीं हुआ है ?"
संस्कृत के विद्वान अश्वतनारायण अवधानी कहते हैं, "संस्कृत ऐसी भाषा है जिससे आप पुरानी परंपराएँ और मान्यताएँ सीखते हैं. यह ह्रदय की भाषा है और यह कभी नहीं मर सकती ।"
संस्कृत भाषा ने इस गाँव के नौजवानों को इंजीनियरिंग या मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए गाँव से बाहर जाने से रोका नहीं है ।
संस्कृत सीखने का फ़ायदा
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क्या संस्कृत सीखने से दूसरी भाषाएँ, ख़ासकर कम्प्यूटर विज्ञान की भाषाओं को सीखने में कोई मदद मिलती है ?
बैंगलुरु की एक आईटी सॉल्यूशन कंपनी चलाने वाले शशांक कहते हैं, "अगर आप संस्कृत भाषा में गहरे उतर जाएं तो यह मदद करती है. मैंने थोड़ी वैदिक गणित सीखी है जिससे मुझे मदद मिली. दूसरे लोग कैलकुलेटर का प्रयोग करते हैं जबकि मुझे उसकी ज़रूरत नहीं पड़ती ।"
हालांकि वैदिक स्कूल से जुड़े हुए अरुणा अवधानी कहते हैं, "जीविका की चिंता की वज़ह से वेद पढ़ने में लोगों की रुचि कम हो गई है. स्थानीय स्कूल में बस कुछ दर्जन ही छात्र हैं ।"
मत्तूरु में संस्कृत का प्रभाव काफ़ी गहरा है. गाँव की गृहिणी लक्ष्मी केशव आमतौर पर तो संकेथी बोलती हैं, लेकिन अपने बेटे या परिवार के किसी और सदस्य से ग़ुस्सा होने पर संस्कृत बोलने लगती हैं ।
मज़दूरों के बच्चे
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मज़दूर के रूप में सुपारी साफ़ करने वाले संयत्र में काम करने वाली तमिल भाषी चित्रा के लिए भी स्थिति ज़्यादा अलग नहीं है. वो कहती हैं, "हम संस्कृत समझ लेते हैं. हालांकि हम में से कुछ इसे बोल नहीं पाते, लेकिन हमारे बच्चे बोल लेते हैं ।"
प्रोफ़ेसर श्रीनिधि कहते हैं, "यह विवाद फ़जूल है. जिस तरह यूरोप की भाषाएँ यूरोप में बोली जाती हैं उसी तरह हमें संस्कृत बोलने की ज़रूरत है. संस्कृत सीखने का ख़ास फ़ायदा यह है कि इससे न केवल आपको भारतीय भाषाओं को बल्कि जर्मन और फ़्रेंच जैसी भाषाओं को भी सीखने में मदद मिलती है ।
@pt.shridurgeshacharyaji mahara

Monday 22 February 2016

devbhasha sanskrit नैव क्लिष्टा न च कठिना

Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj
Radhe raah de charitable foundation
राधे राह दे
राधे राह दे चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में प्रथम बार गाजियाबाद में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है. सभी श्रद्धालुजन आमंत्रित हैं.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें 
"पं श्री दुर्गेशाचार्य जी महाराज" अथवा
"राधे राह दे चैरिटेबल फाउंडेशन" के फेसबुक पेज पर
cont:- 09329876583 ,08979127978

सुरससुबोधा विश्वमनोज्ञा
ललिता हृद्या रमणीया ।
अमृतवाणी संस्कृतभाषा
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥प॥

कविकोकिल-वाल्मीकि-विरचिता
रामायण-रमणीयकथा ।
अतीवसरला मधुरमञ्जुला
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥१॥

व्यासविरचिता गणेशलिखिता
महाभारते पुण्यकथा ।
कौरव-पाण्डव-सञ्गर-मथिता
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥२॥

कुरुक्षेत्र-समराञ्गण-गीता
विश्ववन्दिता भगवद्गीता ।
अमृतमधुरा कर्मदीपिका
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥३॥

कविकुलगुरु-नव-रसोन्मेषजा
ऋतु-रघु-कुमार-कविता ।
विक्रम-शाकुन्तल-मालविका
नैव क्लिष्टा न च कठिना   ॥४॥

Tuesday 16 February 2016

radhe raah de charitable foundation

@ptshridurgeshacharyajimaharaj
radhe raah de charitable foundation is a charitable trust working under pt shri durgeshacharya ji maharaj (vyakaran acharya) and many sankrit scholars. this foundation mainly works for spreading awareness about spirituality, hinduism and sanatan dharm. pt shri durgeshacharya ji maharaj is also a keen orator of shrimad bhagwat katha.
radhe raah de charitable foundation is now starting #RADHE RAAH DE ACHARYAKULAM
sanskrit gurukul, for those who are weaker in economic section gurukul will offer free of cost living and studying.
but for this we need support of each and every sanatan dharmi. we alone can not able to do such work. we can only do it with your precious support not only by donation but we need your moral support too. now a days SANSKRIT is loosing itz heritage. we have to save it to save our culture and our religion. radhe raah de
[please contact on our facebook page --pt shri durgeshacharya ji maharaj and can call on
09329876583, 08979127978
add- atalla chungi, gali no. 1, vrindavan (mathura) up