Saturday 22 October 2016

Sanskrit quotation - pt durgeshacharya ji maharaj




केयुराः न विचूषयन्ति पुरुषं, हाराः न चंद्रोज्ज्वलाः
न स्नानं, न विलेपनं, न कुसुमं, न अलंकृता मूर्धजाः ।
वाणी एका समलंकरोति पुरुषं, या संस्कृता धार्यते
क्षीयंते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम् ॥  ॥


Peacock feathers are not the true adornment of man,
not glistening-as-the-moon necklaces either,
neither are bathing and decorating and flowers ,
noble speech is the only true adornment,
it is the basis of culture
Most Indian languages, in greater or lesser degree, trace their roots in Sanskrit. In that sense, more than a mother tongue, Sanskrit is a grandmother tongue.
The Censuses do not indicate how many people in India actually speak Sanskrit.
It is clear that Sanskrit was not restricted to kshatriyas and brahmanas.
If we do not learn Sanskrit, a vast and profound body of knowledge will be lost to us forever
Most Indian languages, in greater or lesser degree, trace their roots in Sanskrit. In that sense, more than a mother tongue, Sanskrit is a grandmother tongue.Most Indian languages, in greater or lesser degree, trace their roots in Sanskrit. In that sense, more than a mother tongue, Sanskrit is a grandmother tongue.
The Censuses do not indicate how many people in India actually speak Sanskrit.
It is clear that Sanskrit was not restricted to kshatriyas and brahmanas.
If we do not learn Sanskrit, a vast and profound body of knowledge will be lost to us forever
The Censuses do not indicate how many people in India actually speak Sanskrit.
It is clear that Sanskrit was not restricted to kshatriyas and brahmanas.
If we do not learn Sanskrit, a vast and profound body of knowledge will be lost to us forever

Tuesday 21 June 2016

yoga in sanskrit

+pt. durgesharya ji maharaj
योग दिवस की हार्दिक बधाई।
सभी विश्वबन्धुओँ को सनातन वैदिक धर्म की तरफ से योग की भेंट। परन्तु अभी तो यह शुरुआत है विश्व को अभी बहुत कुछ मिलना बाकी है. सनातन वैदिक धर्म संपूर्ण विश्व का सबसे पुराना धर्म है और संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा। 
आइये अब योग के बाद संस्कृत भाषा को पुनः विश्व में वही स्थान दिलाएं जो प्राचीन समय में था. https://www.facebook.com/durgeshacharyaji
कुछ अज्ञानियों को योग करते समय श्लोक में भी परेशानी है अब उनको कैसे बताएं की संस्कृत के बिना योग अधूरा है.
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ
+radhe raah de charitable foundation 
#radheraahde


Sunday 8 May 2016

जननि जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि janani- माता happy mother's day

यया महिलया शिशु जन्यते, पालनं लालनम् क्रीयते, तां महिलां माता इति मन्यते | माता सदृश: पुल्लिङ्ग प्रतिवस्तु पिता | संस्कृतभाषायां जननि, जन्यत्रि, अम्बा, सवित्री, अम्बिका, प्रसू, जनी, अल्ला, अक्का, अत्ता इत्यादिनि अनेकानि पदानि मातृ सब्दस्य कृते पर्यायशब्दरूपेण उपयुज्यते |
शिशो: पालन विषये पित्रे तथा इतर बन्दुजनेभ्य: अपि दायित्वं अस्ति एव परन्तु अम्बायै ज्येष्ठांशम् विद्यते | माता इति पदम् स्पष्टीकर्तुं सुलभकार्यं नास्ति | न केवलं मानवा: इतरेषु पशुषु अपि मातृत्वं सुस्पष्टं विद्यते | यथा शिशो: जीवनं अम्बया विना कटिनम् भवति तथा एव मृगाणां पक्षिणां अपि अम्बया विना जीवनं बहु कष्टं भवति |
भारत देशे स्वमातरं अपेक्षया तरव:, नद्य:, जन्मभूमि:, भाषा: इत्यादय: अपि मातृवत् पूजनीया: इति मन्यते | प्रथमतया श्रीमद्रामायण महाकाव्ये "जननि जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि" इति श्लोक: वर्तते | तादृशा: श्लोका: विविधेषु प्राचीनेषु ग्रन्थेषु अपि वर्तन्ते |

‪#‎happymothersday‬
चोला ‪#‎cholaperiod‬ राज्य १२ वी सदी..... कृष्णा ‪#‎krishna‬ और माता यशोदा‪#‎yashoda‬ की प्रतिमा
हमारी सनातन हिन्दू संस्कृति ‪#‎vedictradition‬ में हमेशा से माँ को एक विशेष दर्जा प्राप्त है. हमारे यहाँ पुरुष प्रधान समाज होते हुए भी सभी शक्तियां प्रमुख्तर स्त्री के पास है जैसे 
माँ सरस्वती - विद्या की देवी 
माँ दुर्गा - शक्ति की देवी
माँ लक्ष्मी - धन की देवी
और हमारे यहाँ प्रमुखता से प्रकृति को भी माँ का दर्ज़ा प्राप्त है , इसी तरह पृथ्वी और धरती को भी माँ का दर्ज़ा प्राप्त है
इसी लिए हम अपने भारत ‪#‎bharat‬ देश को स्त्री सूचक संज्ञा देते हुए ""भारत माता की जय"" कहते है.
मेरे देश की व पुरे विश्व की माताओं को उनके चरणों में प्रणाम, आशा है वो अपनी कोख से वीर, संस्कार ‪#‎sanskar‬ युक्त लव, कुश, ध्रुव , प्रह्लाद जैसी संतानो को जन्म देंगी।‪#‎radheraahde‬
""""""भारत माता की जय"""""""
राधे राह दे

Monday 4 April 2016

sanskrit thriving in british schools #savesanskritsavesanskriti

‪#‎savesanskritsavesanskriti‬
sanskrit thriving in british schools
लंदन के स्कूल में संस्कृत-
सिर्फ हमारे देश ‪#‎india‬ को छोड़के दुनिया के सारे देश संस्कृत ‪#‎sanskritlanguage‬भाषा पर शोध किये जा रहे है. और स्वयं हम जो की इस प्राचीन ‪#‎vediclanguage‬ भाषा के साक्षी है मूड बने हुए बैठे है.
लंदन के स्कूलों में संस्कृत भाषा पढ़ाई जाती है और हमारे यहाँ अंग्रेजी को प्राथमिकता दी जाती है और संस्कृत को तो कोई देखना तक नहीं चाहता है.‪#‎london‬
परन्तु अगर देखा जाये तो कोई नया अविष्कार करने की जरुरत नहीं है सिर्फ हमारे वेदों‪#‎vedas‬ और उपनिषदों ‪#‎upanishads‬ में जो लिखा हुआ है उसी को आप बहार निकल लें तो दुनिया बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
अभी तक जो खोजें हुयी है, जितने भी अविष्कार हुए है सभी हमारे प्राचीन समय की देन है.
इस धरोहर को पहचानो और अपने देश में संस्कृत को गौरव दिलाओ।
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ
राधे राह दे
#radheraahdecharitablefoundation

Sunday 3 April 2016

Sanskrit benefits

‪#‎savesanskritsavesanskriti‬
॥ श्रीराधास्तोत्रं श्रीकृष्णकृतम् ॥
श्रीकृष्ण उवाच ।
एवमेव प्रियोऽहं ते प्रमोदश्चैव ते मयि ।
सुव्यक्तमद्य कापट्यवचनं ते वरानने ॥ १॥

हे कृष्ण त्वं मम प्राणा जीवात्मेति च सन्ततम् ।
ब्रूषे नित्यं तु यत् प्रेम्णा साम्प्रतं तद् गतं द्रुतम् ॥ २॥
अस्माकं वचनं सत्यं यद् व्रवीमिती तद् ध्रुवम् ।
पञ्चप्राणाधिदेवी त्वं राधा प्राणधिकेति मे ॥ ३॥
शक्तो न रक्षितुं त्वां च यान्ति प्राणस्त्वया विना ।
विनाधिष्ठातृदेवीं च को वा कुत्र च जीवति ॥ ४॥
महाविष्णोश्च माता त्वं मूलप्रकृतिरीश्वरी ।
सगुणा त्वं च कलया निर्गुणा स्वयमेव तु ॥ ५॥
ज्योतीरूपा निराकारा भक्तानुग्रहविग्रहा ।
भक्तानां रुचिवैचित्र्यन्नानामूर्तीश्च बिभ्रमती ॥ ६॥
महालक्ष्मिश्च वैकुण्ठे भारती च सतां प्रसूः ।
पुण्यक्षेत्रे भारते च सती त्वं पार्वती तथा ॥ ७॥
तुलसी पुण्यरूपा च गङ्गा भुवनपावनी ।
ब्रह्मलोके च सावित्री कलया त्वं वसुन्धरा ॥ ८॥
गोलोके राधिका त्वं च सर्वगोपालकेश्वरी ।
त्वया विनाहं निर्जीवो ह्यशक्तः सर्वकर्मसु ॥ ९॥
शिवः शक्तस्त्वया शक्त्या शवाकारस्त्वया विना ।
वेदकर्ता स्वयं ब्रह्मा वेदमात्रा त्वया सह ॥ १०॥
नारायणस्त्वया लक्ष्म्या जगत्पाता जगत्पतिः ।
फलं ददाति यज्ञश्च त्वया दक्षिणया सह ॥ ११॥
बिभर्ति सृष्टिं शेषश्च त्वां कृत्वा मस्तके भुवम् ।
बिभर्ति गङ्गारूपां त्वां मूर्घ्नि गङ्गाधरः शिवः ॥ १२॥
शक्तिमच्च जगत् सर्वं शवरूपं त्वया विना ।
वक्ता सर्वस्त्वया वाण्या सूतो मूकस्त्वया विना ॥ १३॥
यथा मृदा घटं कर्तुं कुलालः शक्तिमान् सदा ।
सृष्टिं स्रष्टुं तथाहं च प्रकृत्या च त्वया सह ॥ १४॥
त्वया विना जडश्चाहं सर्वत्र च न शक्तिमान् ।
सर्वशक्तिखरूपा त्वं समागच्छ ममान्तिकम् ॥ १५॥
वह्नौ त्वं दाहिका शक्तिर्नाग्निः शक्तस्त्वया विना ।
शोभास्वरूपा चन्द्रे त्वं त्वां विना न स सुन्दरः ॥ १६॥
प्रभारूपा हि सूर्ये त्वं विना न स भानुमान् ।
न कामः कामिनीबन्घुस्त्वया रत्या विना प्रिये ॥ १७॥
इत्येवं स्तवनं कृत्वा तां सम्प्राष जगत्प्रभुः ।
देवा बभूवुः सथीकाः सभार्याः शक्तिसंयुताः ॥ १८॥
सस्त्रीकं च जगत् सर्वं बभूव् शैलकन्यके ।
गोपीपूर्णश्च गोलोको बभूव तत्प्रसादतः ॥ १९॥
राजा च जगाम् गोलोकमिति स्तुत्वा हरिप्रियाम् ।
श्रीकृष्णेन कृतं स्तोत्रं राधाया यः पठेन्नरः ॥ २०॥
कृष्णभक्तिं च तद्दास्यं स प्राप्नोति न संसयः ।
स्त्रीविच्छेदेयः शृणोति मासमेकमिदं शुचिः ॥ २१॥
अचिराल्लभते भार्यां सुशीलां सुन्दरीं सतीं ।
भार्याहीनो भाग्यहीनो वर्षमेकं शृणोति यः ॥ २२॥
अचिराल्लभते भार्यां सुशीलां सुन्दरीं सतीं ।
पुर मया च त्वं प्राप्ता स्तोत्रेणानेन पार्वति ॥ २३॥
मृतायां दक्षकन्यायामाज्ञया परमात्मनः ।
स्तोत्रेणानेन सम्प्राप्ता सावित्री ब्रह्मणा पुरा ॥ २४॥
पुरा दुर्वाससः शापान्निःश्रीके देवतागणे ।
स्तोत्रेणानेन देवैस्तैः सम्प्राप्ता श्रीः सुदुर्लभा ॥ २५॥
शृणोति वर्षमेकं च पुत्रार्थि लभते सुतम् ।
महाव्याधी रोगमुक्तो भवेत् स्तोत्रप्रसादतः ॥ २६॥
कार्तिकीपूर्णमायां तु तां सम्पूज्य पठेत्तु यः ।
अचलां श्रियमाप्नोति राजसूयफलं लभेत् ॥ २७॥
नारी शृणोति चेत् स्तोत्रं स्वामिसौभाग्यसंयुता ।
भक्त्या शृणोति यः स्तोत्रं बन्धनान्मुच्यते ध्रुवम् ॥ २८॥
नित्यं पठति यो भक्त्या राधां सम्पूज्य भक्तितः ।
स प्रयाति च गोलोकं निर्मुक्तो भवबनात् ॥ २९॥
इति श्रीब्रह्मवैवर्ते श्रिकृष्णकृष्णकृतं
श्रीराधास्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
Pt. shri Durgeshacharya ji maharaj
‪#‎radheraahde‬

Friday 25 March 2016

sanskrit in GERMANY

#SAVESANSKRITSAVESANSKRITI
now look at germany, germany is fascinating about our vedic language.
@http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-3038926/Sanskrit-fever-grips-Germany-14-universities-teaching-India-s-ancient-language-struggle-meet-demand-students-clamour-courses.html

http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-3038926/Sanskrit-fever-grips-Germany-14-universities-teaching-India-s-ancient-language-struggle-meet-demand-students-c
lamour-courses.html

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+pt. durgesharya ji maharaj
radhe raah de

Saturday 19 March 2016

संस्कृत फिल्म sanskrit animation movie

https://www.facebook.com/radheraahdefoundation/?fref=ts
संस्कृत भाषा में बनने वाली पहली फिल्म "पुण्यकोटि".
आईये सब मिलकर संस्कृत भाषा को पुनः विश्व की भाषा बनाएं।
आप अपने बच्चों को चाहे कितनी भी शिक्षा दिलादो परन्तु अगर उसमें अपनी संस्कृति के बीज नहीं बोये तो पता नहीं कल को वो संस्कार हीन बालक आपका सर शर्म से न नीचा कर दे.
जय हिन्द जय भारत
संस्कृत बचाओ संस्कृति बचाओ
राधे राह दे
 
@pt.